युगे होती अठ्ठावीस
| कर बंद कटेवर
|
डोळे मिटे विटेवर
| पांडुरंग ||१||
४ वेद ६
शास्त्र | आणिक १८
पुराण |
वर्णिती ते २८
| श्रीरंग ||२||
माऊलींचा माय-बाप
| नाथाघरी सखा खास
|
तुका म्हणे झालो
दास | बा विठ्ठल
||३||
आधी वसशी पंढरी
| मग वैकुंठ नगरी
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पुंडरीक भीमातीरी | श्रीहरी ||४||
पायी वारीसी जे
येता | मुखदर्शन तुज
होता |
धन्य झालो भगवंता | विठूराया ||५||
धन्य झालो भगवंता | विठूराया ||५||
--- जयराज
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