सोमवार, २० फेब्रुवारी, २०१७

कविता : पांडुरंग

युगे होती अठ्ठावीस | कर बंद कटेवर |
डोळे मिटे विटेवर | पांडुरंग ||||

वेद शास्त्र | आणिक १८ पुराण |
वर्णिती ते २८ | श्रीरंग ||||

माऊलींचा माय-बाप | नाथाघरी सखा खास |
तुका म्हणे झालो दास | बा विठ्ठल ||||

आधी वसशी पंढरी | मग वैकुंठ नगरी |
पुंडरीक भीमातीरी | श्रीहरी ||||

पायी वारीसी जे येता | मुखदर्शन तुज होता |
धन्य झालो भगवंता | विठूराया ||||


--- जयराज

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